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आवाज़ अमन चैन की.........

हे भगवान! उन्हें मुआवजे का एक एक पैसा मिले.......

नन्हा मुन्ना राय हूँ...........

आज नहीं था वो मजा उसमे...........

ये मौसम है जवाँ जवाँ.....

पचपन मेँ बचपन

संभालो देश के चमन को

कहाँ गये वो देशभक्त

क्यों है दुनिया मन की भिखारी......

क्यों सोचते है हम अपने ढंग से.....

अंगूर खट्टे है....

क्यों नहीं सुनाती आज दादी हमें कहानी....

सोती सरकार और जगाता नक्सल