ये मौसम है जवाँ जवाँ.....


आज जब मै सुबह उठा तो देखा की मौसम कुछ अच्छा सा लग रहा है। क्योंकी आह धूपका नाम न था और रिम झिम फुहारों के बीच सूरज देवता के दर्शन भी नसीब नहीं हो प् रहे थे। अब एक बार के लिया हम सोचे की क्या ये मौसम शभी के लिए इसी प्रकार सुहावना ही साबित हो रहा होगा। लेकिन जब मै इस बारे मै गौर से सोचता हु तो पता हु की जी नहीं, उन झुग्गी झोपड़ी वाले निम्नवर्गीय लोगो के लिए इस प्रकार का मौसम किसी प्रकार की मुसीबत से कम नहीं है। उन लोगो की हालत इस समय बद से बदतर हो रहे है। सरकार को इन लोगो की तरफ ध्यान देना होगा नहीं तो इन लोगो को के रूप मै जो भारत की आधी आबादी रहती रहती है वह जल्द ही कम हो जाएगी। आये दिन इन लोगो की मुसीबते से सभी लोग मीडिया के जरिये मुखतिब होते रहते है पर इसके बावजूद भी सरकार के सर पर आज भी कोई जू तक नहीं रेंगी। यह सब क्या है? क्या ये कोई एक मौसम है जो की एक निश्चित समय के लिए आता है और चला जाता है? जी नहीं, एसा कुछ नहीं है। यही वो देश के कर्णधारो की बस्ती है जिसे जुग्गी के नाम से जाना जाता है। जहाँ से देश के अधिकारी वर्ग की एक टोली भी निकलती है तो सरकार को इनकी और ध्यान देना होगा और जल्द ही इनकी हालत को सुधारना होगा। आज इन इलाको की सबसे बड़ी समस्या गंदगी है जो की इन बारिश के दिनों मै और अधिक बाद जाती है। जिससे लोगो की तबियत और ख़राब हो जाती है। यदि इनके स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश की तबियत ख़राब होने की पूरी उम्मीद है। उन झुग्गी झोपड़ियो मै जल निकाश की सही व्यवस्था करनी होगी ताकि देश की प्रतिभा का निकाश न हो जाये।

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