कहाँ गये वो देशभक्त
जब देश आजादी के लिये संघर्ष कर रहा था उस समय देशभक्तो की बाढ़ हमारे देश मेँ आ रही थी और उसी बाढ़ के फलस्वरुप आज हम आजादी की साँस ले रहे है। लेकिन आज हमारे देश मेँ देशभक्तोँ का टोटा पड़ रहा है जो कि हमारे देश के लिए किसी भी सूरत ए हाल मे ठीक नहीँ है। आज लोग देश के बारे मेँ बाद मेँ तथा खुद के लाभ बारे मेँ पहले सोचते है। आज आदमी की धारणा यह बन गयी है कि जब देश की बुरी हालत से औरो को कोई फर्क नही पड़ता तो फिर वो ही अकेला मुसीबतो का सामना क्योँ करे जबकि वह यह बात भूल जाता है कि यदि ऐसी ही सोच यदि स्वतंत्रता आंदोलन के समय देशभक्तोँ मेँ होती तो क्या आज हम चैन की साँस ले सकते थे।लोगो का कहना है कि अकेला चना भाड़ नहीँ फोड़ सकता लेकिन मै आपको पूरे विश्वास से कहना चाहता हूँ कि आज अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है, एक बार प्रयास करके तो देखिये। यह नया नजरिया ही देश के भाग्य मेँ चार चाँद लगा सकता है । अन्यथा देश के सितारो को गर्दिश मेँ जाने से कोई नही रोक सकता।
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