हे भगवान! उन्हें मुआवजे का एक एक पैसा मिले.......



आज कल हमारे देश में एक आवाज़ उठाई जाने की एक सफल कोशिश की जा रही है। ऐसा मुझे तो लगता है और को किसी को ऐसा लगता है या नहीं इस बारे में मै कुछ नहीं कह सकता। जी हां मै भोपाल गैस कांड की ही बात हर रहा हु। ये कांड तो मेरे जन्म से भी पूर्व घटित हुआ था लेकिन इसमे दिए जा रहे सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब मेरे सामने ही दिए जा रहे है सो मै इस मामले पर बोलने से खुद को नहीं रोक पा रहा हु। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ठीक था की मुआवजा राशी दस लाख रुपये कर दी जाए। रात को आठ बजे एनडीटीवी पर प्रसारित होने वाला कार्यक्रम में देख रहा था तो उस में बहस का मुद्दा था की क्या यह मुआवजे की राशि कम नहीं है? क्या इसे और बढ़ाना नहीं चाहिए? लेकिन मेरे उन विद्वान् लोगो ने इस बारे में नहीं सोचा की क्या ये राशि तो पूरी की पूरी उन पीडितो के परिवार वालो को मिल जायेगी? आज हमारे देश में भ्रष्टाचार जिस तरह से अपना आशियाना बना कर बैठा है उससे मुझे तो एक छोटी सी आशा भी इस बारे में नहीं है की पूरी की पूरी राशी इन पीड़ित परिवारों को मिल जायेगी। अभी कुछ दिनों से एक दैनिक अखबार दैनिक भास्कर ( राजस्थान एडिशन के तहत ) ने भोपाल कांड पर अपनी एक मुहीम छेड़ रखी है जो की पीडितो को न्याय दिलाने के सिलसिले में है। इनकी इस कोशिश को मै सलाम करता हु पर एक और बात मै इनसे कहना चाहूँगा की इसी मुहीम के साथ वे इस मुहीम का भी नेतृत्व करे की जो मुआवजे की राशि हो वह पूरी की पूरी उन पीडितो के आश्रितों को मिले जिनको इसकी बहुत अधिक आवश्यकता है। नेहरू जी ने एक बार कहा था की यदि किसी सरकारी सहायता म दस रुपये पारित किये जाते है तो उनमे से केवल पच्चीस पैसे ही उस व्यक्ति तक पहुँच पाते है जिसके लिए वो सहायता दी गयी है। तो वे हालत बदलने की आज सख्त आवश्यकता है और यदि ये परिस्थितिया बदल दी गयी तो आप ये मान क चलिए की ये बात भी उन पीडितो के लिए एक तरह का न्याय ही होगा और उस न्याय की जीत का स्वरुप होगा।

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