वक्त बदला है बदलाव को..

वक्त की खासियत है कि वह बदलता रहता है, वक्त ही है जो हमें वक्त पर हमारा वक्त याद दिलाता है। शायद किसी ने नहीं सोचा होगा साल के शुरुआत में की इस साल के दौरान हमें बहुत कुछ ऐसा बदलाव दिखेगा, हमें ऐसे दौर से गुजरना पड़ेगा जो सदियों तक याद रखा जाएगा। इस दौर को जीना और इस दौर के दौरान अपने जिंदगी के दौर से हाथ धो बैठना भी याद रहेगा। कोरोना इतना खतरनाक साबित होगा यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा, कोरोना एक वैश्विक महामारी के तौर पर उभर कर आएगी यह है किसी ने जाना ही नहीं होगा इसे गंभीरता से लिया ही नहीं गया होगा उन लोगों के द्वारा जो आज इसकी कीमत चुका रहे हैं। पूरे विश्व में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई इस वैश्विक महामारी के कारण। लोगों को जरूरतों का सामान भी बड़ी मिनट बाद मिल पा रहा है जनता त्रस्त हो चुकी है सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही हैं परंतु उनकी कोशिशें इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह स्पष्ट नहीं है वह चाह कर भी ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं अगर पूरे विश्व को छोड़कर एक बार हम हमारे देश के संबंध में ही सोचे तो पाएंगे कि भौतिक धरातलीय विभिन्नताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना इस कठिन घड़ी में बड़ा ही कठिन है और यही कारण है कि सरकार अपने सारे आदेशों की अनुपालना पूरी कढई के साथ नहीं करवा पाई फल स्वरुप कोरोना का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है लोग इसकी चपेट में आते जा रहे हैं संक्रमित होते जा रहे हैं और इस बीमारी से पार पाना बड़ा दुष्कर साबित हो रहा है। एक हद तक सरकार को नाकाम बताना भी हमारी नाकामी होगी क्योंकि यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं वरन प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम इस कठिन घड़ी में एक दूसरे का साथ दें सरकार का साथ दें उनके नियमों को माने उनकी अनुपालन ना करें परंतु पिछले ढाई महीनों में जो देखा है वह अनुभव बताने योग्य नहीं है जनता पालना छोड़ उन लोगों के कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रही है जो इसे मिटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। जिस सामाजिक दूरी की बात सरकार पूरे जोश खरोश के साथ जनता के बीच फैला रही है उस सामाजिक दूरी की धज्जियां आप अपने अगल बगल में उड़ते देख सकते हैं। जहां सख्त कड़े नियम है वहां पर तो ठीक लेकिन जहां पर ढील दी गई वहां पर लोग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं लोग सामाजिक दूरी को तार-तार कर रहे हैं और यह तार तार करना उसी जनता के लिए खतरनाक है जो इसे वर्तमान में समझ नहीं रही है। जनता को समझना होगा देश की आर्थिक स्थिति इस समय ठीक नहीं है देश की सरकार को उनके नियमों को क्रियान्वित करने में जनता उनका सहयोग करें जनता इस चीज को समझे कि सरकार के द्वारा उठाए गए कड़े कदम उन्हीं के लिए फायदेमंद है। सरकारी खजाने पर कोरोना वैश्विक महामारी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है तो आने वाले दिनों में अगर महंगाई बढ़ जाए तो इसे लेकर जनता को आशंकित नहीं होना है जनता को यह मानना चाहिए कि अभी वक्त हमारे देश के इस विश्व के पक्ष में नहीं है परंतु साथ में यह बात भी याद रखनी चाहिए कि वक्त बदलता जरूर है आज नहीं तो कल सही मगर वक्त बदलेगा जरूर हम उठेंगे जरूर और दिखा देंगे पूरी दुनिया को देखिए हम झुके जरूर थे मगर टूटे नहीं है। मेरी सभी से यह गुजारिश है कि धन से ना सही मगर हम मन से इस बीमारी से लड़े और दूसरों को इस सामाजिक दूरी के बारे में प्रेरित करें।

Comments