बाबूजी धीरे चलना, बड़े धोखे है इस राह मे...........

सबसे पहले मेरे सभी मित्रो को 70 वे स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई। कल  सुबह सात बजे ही मै टेलीविज़न के आगे पहुँच गया क्योकि लालकिले पर तिरंगा फहराते देखने की बड़ी इच्छा हो रही थी और ठीक साढ़े सात बजे माननीय प्रधानमंत्री जी ने ध्वजारोहण कर मेरी मन की इच्छा को साकार कर दिया। और उसके बाद अगले सौ मिनट तक वो लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते रहे । मैंने भी उनके भाषण को काफी मन लागकर सुनने की कोशिश की। प्रधानमंत्री जी पिछले दो वर्षो के उनके कार्यकाल का बखान कर रहे थे और बता रहे थे की हमने पिछले दो सालो मे वो सब कुछ कर दिखाया है जो पिछले साठ सालो मे नहीं हो पाया। उन्होने जो आंकड़ो की जुबानी अपनी बातों मे दम रखा वो काबिले तारीफ है, मगर इन दम-खम की बातों के बीच जब उन्होने मेरे जैसे अर्थात आम नागरिक की थाली पर आँख गड़ायी तो मै सहमी सी नजरों से गरीब की थाली का विचार करने लगा जिसके बारे मे मोदी जी कह रहे थे कि गरीब की थाली का दाम नहीं बढ़ने देंगे वो। उनका कहना था कि जीडीपी 10 से घटाकर 6 पर ले आए है हम। अरे मेरे देश के धन्य नेता, चीजे महंगी होती जा रही है, महंगाई आसमान छूने को बेकरार है, गरीब की थाली से  वो दाल तो तुमने पहले ही छीन ली और बात करते हो कि गरीब की थाली महंगी नहीं होने देंगे।
हो सकता है कि गरीब की थाली महंगी होने से रोक पाये आप मगर थाली मे वजन अर्थात थाली मे भोजन होने से ही उसकी महत्ता रहेगी अगर थाली मे भोजन ही नहीं होगा तो एक गरीब आदमी इस प्रकार की थाली से क्या अपना सिर फोड़ेगा।
मानते है आप कागजो मे मजबूत है, आप ने महंगाई को कागजो मे किस तरह से कम कर दिया इस बारे मे हम गहनता से जांच नहीं करेंगे मगर जो आंखो देखा सच है इसे कैसे झुठला देंगे आप।
सब्जी के भाव दिन दौगुने और रात चौगुने बढ़ते जा रहे है और लोगो की कमाई घटती जा रही है। प्रिय मोदीजी, आपसे करबद्ध निवेदन है कि किसी भी प्रकार का सब्ज बाग इस भोली भाली जनता को ना दिखाये क्योकि अभी तक ये काला धन के जुमले से उभर नहीं पाई है और अगर ऊपर से इन्हे "गरीबो की थाली" के रूप  मे कोई और लोभ मिल गया तो जनता इन धोखो के आघात सहन नहीं कर पाएगी, सहन नहीं कर पाएगी।



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